Sangeeta singh

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अनोखे शिक्षक

  "  निकोलस स्पार्क्स " जो एक मशहूर अमेरिकन पटकथा लेखक और उपन्यासकार हैं उन्होंने शिक्षक के बारे में लिखा था
   " वो आपको प्रेरित करते हैं,आपका मनोरंजन करते हैं,और आप कुछ न जान कर भी बहुत कुछ सीख जाते हैं।"
ऐसा ही कुछ मेरी जिंदगी में मुझे मिला।
   शिक्षक या गुरु ,जो हमारे जीवन में व्याप्त अंधेरे को उजाले में बदल देता है।शुरू में बनाई नींव जीवनपर्यंत सुरक्षा और मजबूती प्रदान करती है।
यूं तो  स्कूल के दिनों में मुझे कई शिक्षक मिले ,जिनकी यादें स्मृति पटल पर अंकित हैं जैसे ,गणित के शिक्षक से मार खाई,सामाजिक विज्ञान में अपनी नींद पूरी की  अंग्रेजी में शेक्सपियर की कहानियों में प्रेम और प्रतिशोध का गोता लगाया।
बेफिक्र  जिंदगी में ,और बेस्वाद विषय में जब  ज्ञान का चटकारा लगा तो जैसे दुनिया ही बदल गई।
  मुझे छोटे क्लास में भूगोल तनिक भी अच्छा नहीं लगता था किसी तरह पास हो जाती,कारण ये था कि भूगोल की क्लास ज्यादातर लंच के बाद होती  ,और मुझे  हमारी टीचर के पढ़ाने के ढंग से बस नींद ही आती नींद से बचने के लिए  ज्यादातर पीछे बेंच में बैठ सहेलियों के साथ टीचर से नज़र बचा गप्पें मारा करती।
  किसी तरह पास करते उच्च कक्षा में आ गई थी,लेकिन विषय में कुछ ज्यादा ही हालत खराब थी ।हिंदी और संस्कृत मेरा पसंदीदा विषय था क्योंकि उससे संबंधित टीचर काफी विद्वान और उनके पढ़ाने का तरीका बिल्कुल अलग था,वो हमें पढ़ाते,साथ में हमें हमारी संस्कृति से परिचय भी खेल खेल में करा देते ,रामायण ,महाभारत ,की कहानियों के माध्यम से हमारे चरित्र का निर्माण भी करते जाते।
उन शिक्षकों का मेरे जीवन में इतना प्रभाव है कि मैं अपनी मातृभाषा और संस्कृति से पूरी तरह जुड़ गई।
     नीरस भूगोल को जब हमारी प्रिंसिपल  सिस्टर जो उच्च क्लास में भूगोल  पढ़ाने आईं ,उन्होंने ऐसी   जादूई छड़ी चलाई कि फिर तो  सारे महाद्वीप ,सागर,उतरी ध्रुव ,दक्षिणी ध्रुव सब आंखों के सामने चलचित्र की तरह दिखाई देने लगे।
   हमारा  मिशनरी स्कूल था ,स्कूल में फादर,सिस्टर ,थे। सिस्टर्स को सफेद शर्ट , स्कर्ट और पैर में ऊंची हील की सैंडल पहन देख एक बार जैसे उनके जैसे बनने का दिल कर जाता , लेकिन धीरे धीरे समझ में आया उनका जीवन त्याग और तपस्या का होता है, जो हमारे बस का नहीं ।
    मैं शुक्रगुजार हूं ,अपने हिंदी के सर प्रमथनाथ मिश्र,अपनी सिस्टर और अपने इतिहास और इंग्लिश के टीचर कुरियन सर का  जिन्होंने मुझमें उन विषयों के प्रति रुचि जगाई और हमारी नींव  मजबूत  की।
  वो अनोखे शिक्षक जो जैसे   "  निकोलस स्पार्क्स " जो एक मशहूर अमेरिकन पटकथा लेखक और उपन्यासकार हैं उन्होंने शिक्षक के बारे में लिखा था
   " वो आपको प्रेरित करते हैं,आपका मनोरंजन करते हैं,और आप कुछ न जान कर भी बहुत कुछ सीख जाते हैं।"
ऐसा ही कुछ मेरी जिंदगी में मुझे मिला।
   शिक्षक या गुरु ,जो हमारे जीवन में व्याप्त अंधेरे को उजाले में बदल देता है।शुरू में बनाई नींव जीवनपर्यंत सुरक्षा और मजबूती प्रदान करती है।
यूं तो  स्कूल के दिनों में मुझे कई शिक्षक मिले ,जिनकी यादें स्मृति पटल पर अंकित हैं जैसे ,गणित के शिक्षक से मार खाई,सामाजिक विज्ञान में अपनी नींद पूरी की  अंग्रेजी में शेक्सपियर की कहानियों में प्रेम और प्रतिशोध का गोता लगाया।
बेफिक्र  जिंदगी में ,और बेस्वाद विषय में जब  ज्ञान का चटकारा लगा तो जैसे दुनिया ही बदल गई।
  मुझे छोटे क्लास में भूगोल तनिक भी अच्छा नहीं लगता था किसी तरह पास हो जाती,कारण ये था कि भूगोल की क्लास ज्यादातर लंच के बाद होती  ,और मुझे  हमारी टीचर के पढ़ाने के ढंग से बस नींद ही आती नींद से बचने के लिए  ज्यादातर पीछे बेंच में बैठ सहेलियों के साथ टीचर से नज़र बचा गप्पें मारा करती।
  किसी तरह पास करते उच्च कक्षा में आ गई थी,लेकिन विषय में कुछ ज्यादा ही हालत खराब थी ।हिंदी और संस्कृत मेरा पसंदीदा विषय था क्योंकि उससे संबंधित टीचर काफी विद्वान और उनके पढ़ाने का तरीका बिल्कुल अलग था,वो हमें पढ़ाते,साथ में हमें हमारी संस्कृति से परिचय भी खेल खेल में करा देते ,रामायण ,महाभारत ,की कहानियों के माध्यम से हमारे चरित्र का निर्माण भी करते जाते।
उन शिक्षकों का मेरे जीवन में इतना प्रभाव है कि मैं अपनी मातृभाषा और संस्कृति से पूरी तरह जुड़ गई।
     नीरस भूगोल को जब हमारी प्रिंसिपल  सिस्टर जो उच्च क्लास में भूगोल  पढ़ाने आईं ,उन्होंने ऐसी   जादूई छड़ी चलाई कि फिर तो  सारे महाद्वीप ,सागर,उतरी ध्रुव ,दक्षिणी ध्रुव सब आंखों के सामने चलचित्र की तरह दिखाई देने लगे।
   हमारा  मिशनरी स्कूल था ,स्कूल में फादर,सिस्टर ,थे। सिस्टर्स को सफेद शर्ट , स्कर्ट और पैर में ऊंची हील की सैंडल पहन देख एक बार जैसे उनके जैसे बनने का दिल कर जाता , लेकिन धीरे धीरे समझ में आया उनका जीवन त्याग और तपस्या का होता है, जो हमारे बस का नहीं ।
    मैं शुक्रगुजार हूं ,अपने हिंदी के सर प्रमथनाथ मिश्र,अपनी सिस्टर और अपने इतिहास और इंग्लिश के टीचर कुरियन सर का  जिन्होंने मुझमें उन विषयों के प्रति रुचि जगाई और हमारी नींव  मजबूत  की।
  वो अनोखे शिक्षक जो जैसे ही जादू की छड़ी चलाते हैं विषय  हवा में उड़ उड़ कर हमारे दिमाग के एक भाग में जमा हो जाते जो वर्षों तक वहीं संगृहीत हो गए हैं।

 जादू की छड़ी चलाते हैं विषय  हवा में उड़ उड़ कर हमारे दिमाग के एक भाग में जमा हो जाते जो वर्षों तक वहीं संगृहीत हो गए हैं।

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7 Comments

Sushi saxena

14-Mar-2023 08:35 PM

शानदार

Reply

Sangeeta singh

14-Mar-2023 10:54 PM

आभार

Reply

अदिति झा

07-Mar-2023 08:54 AM

Nice 👍🏼

Reply

Sangeeta singh

14-Mar-2023 10:54 PM

आभार

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Abhinav ji

07-Mar-2023 08:29 AM

Very nice 👌

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